आज फिरसे तेरी याद आई, फुट-फुटकर में रोइ...
तुजे खो देने की बात से जब, इस दिल की मुलाकात हुई...
क्या हो गया हे मुझे,
हरपल, यु उदास तो ना रहेती थी मे...
फिरसे, वो गुजरे हसी पल याद किये तो,
इस दिल ने फिर आज, दर्द की मंजिल पाई...
गलतफेमियो से घिरी थी में शायद,
जो समज नहीं पाई...
गलती मेरी थी या तेरी, इस कश्मकश में...
सब पीछे छोड़ आई...
कितनी अज़िज थी बाते,
जो तेरे मेरे बिच थी, पतजड कहा से आई...
सोचते ही रेह गई की में छाव से घिरी हु,
आँख जो खोली, तो धुप से जल आई...
हर उड़ते हसीन ख्वाब में मेरे,
तुजे देखना चाहती थी...
हाथ बढ़ाया जो उसे छूने को,
हकिकत से में ज़मी पर गिर आई...
पल में ही टूट गयी में, बिखर कर रह गयी...
समेटना चाहा जो खुदको, तन्हा खोखले टुकडो से मिल आई...
ख्याल भी ना होता था कोई तेरे बिन,
आज ये कोनसे मोड़ पर खड़ी हु...
केसे जुदाई बिच आ गयी हमारे,
उसी की तलाश में भटकी पड़ी हु...
अंजान तो नही तू इस बात से,
की कितने हसी पल गुज़ारे थे साथ में...
कोई गलती से ज़िक्र कर दे मेरा तो ना कहेना,
की आती नहीं में कभी तेरे ख्वाब में...
ख़ामोश सा बेठ गया हे क्या तू ,
इन हवाओने, आजकल मुझसे बात करनी बंध कर दी हे...
क्या रो रहा हे, तू मुझसे दूर होकर,
आजकल, बिन मोसम बारिश बहोत होने लगी हे...
सब कुछ ओज़ल सा हो चूका हे,
इन आखो ने, वो धुंधली तस्विरे भी खो दी हे...
तन्हाई के आलम में बेठे-बेठे बस अब ये आँखे,
सर्द हवा के जोको से आनेवली, आंधी के इंतजार में हे...
हर दरवाजे पर आज फिर एक नयी उल्जन
अपने जवाब तलाश रही हे...
जानती हे कशमकश में उलज कर रह गये हे दो दिल,
फिरभी,
दोनों को कोई जुठ, सच बताकर फिर एक नया खेल खेल रही हे...
आज फिरसे तेरी याद आइ,फुट फुटकर में रोइ...
तुजे खो देने की बात से जब, मेंरे दिल की मुलाकात हुई...
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